गणतंत्र के 70 साल : हम क्यों संविधान लिखने वाले बीएन राऊ को भूल गए?

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Advertisementगणतंत्र के 70 साल : हम क्यों संविधान लिखने वाले बीएन राऊ को भूल गए?Agency:hindi.in.comLast Updated:January 21, 2020, 11:59 IST

सर बेनेगल नरसिंह राऊ (B. N. Rau) भारत के उन काबिल सिविल सर्वेंट, न्यायविद और डिप्लोमेट्स में थे जिन्होंने संविधान निर्माण में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

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गणतंत्र के 70 साल: हम क्यों संविधान लिखने वाले बीएन राऊ को भूल गए?बेनेगल नरसिंह राउ का जन्म कर्नाटक के एक बेहद शिक्षित परिवार में हुआ था. उनके पिता बेनेगल राघवेंद्र राऊ मशहूर डॉक्टर थे.
इस बार 26 जनवरी (26 January, 2020) को भारतीय गणतंत्र की उम्र 70 साल की हो जाएगी. बीते 70 सालों में दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश (Democratic Country) के रूप में भारत ने खुद को सकारात्मक रूप से विकसित किया है. इस दौरान भारतीय लोकतंत्र के विकास और संविधान निर्माण के लिए कई महत्वपूर्ण व्यक्तियों को क्रेडिट मिला, लेकिन यह तकलीफ की बात है कि उस व्यक्ति का नाम चर्चा से लगभग गायब रहता है जिसने पहली बार भारतीय संविधान लिखा था. वैसे तो भारतीय संविधान को तैयार करने में कई विद्वान लोगों की भूमिका रही लेकिन एक नाम है, जिन्हें सबसे कम ख्याति मिली. वक्त के साथ धीरे-धीरे हम संविधान तैयार करने में उनके योगदान को भूलते चले गए. उस विद्वान का नाम है बेनेगल नरसिंह राऊ. कौन थे बीएन राऊ सर बेनेगल नरसिंह राऊ भारत के उन काबिल सिविल सर्वेंट, न्यायविद और डिप्लोमैट्स में थे, जिन्होंने भारतीय संविधान निर्माण में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. अपने समय के सबसे ख्यातिनाम न्यायविदों में शुमार किए जाने वाले नरसिंह राऊ ने ना सिर्फ भारत का बल्कि बर्मा (म्यांमार) का संविधान लिखने में भी मदद की.
बीएन राउ के सम्मान में भारत सरकार ने 1988 में डाक टिकट जारी किया था.
विद्वानों के परिवार में हुआ था जन्म बेनेगल नरसिंह राऊ का जन्म कर्नाटक के एक बेहद शिक्षित परिवार में हुआ था. उनके पिता बेनेगल राघवेंद्र राऊ मशहूर डॉक्टर थे. नरसिंह राऊ ने मेंगलुरु के केनरा हाई स्कूल से पढ़ाई की. उन्होंने पूरे मद्रास राज्य में सबसे ज्यादा अंकों के साथ परीक्षा पास की. स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने आगे की शिक्षा ट्रनिटी कॉलेज कैंब्रिज से पूरी की. 1909 में राऊ ने भारतीय सिविल सेवा की परीक्षा पास की और भारत लौट आए. उन्हें पहली पोस्टिंग बंगाल में मिली. 1925 में उन्हें एक साथ दो पोस्ट ऑफर की गईं. उन्हें असम में प्रोविंशियल काउंसिल के साथ सरकार का कानूनी सलाहकार भी बनाया गया. साल 1935 में उन्होंने ब्रिटिश सरकार के भारत में सुधारों के लिए शुरू किए गए कामों में योगदान देना शुरू किया. उन्होंने 1935 के गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट को बनाने के लिए भी अपना योगदान दिया. इसके बाद उन्हें कलकत्ता हाईकोर्ट में जज बनाया गया. इसके अलावा वो जम्मू-कश्मीर राजशाही के प्रधानमंत्री पद पर भी रहे. संविधान निर्माण में रोल साल 1946 में नरसिंह राऊ की विद्वता के मद्दनेजर उन्हें संविधान सभा का संवैधानिक सलाहकार बनाया गया. नरसिंह राऊ ने ही साल 1948 में भारतीय संविधान का शुरुआती ड्राफ्ट बनाकर तैयार किया था. यह हमारे भारतीय संविधान का पहला मूल ड्राफ्ट था. इसी ड्राफ्ट पर संविधान सभा ने अलग-अलग बिंदुओं पर बहस कर हमारा संविधान तैयार किया. बहस के बाद जब हमारा संविधान तैयार हुआ तो 26 नवंबर 1949 को इसे स्वीकार कर लिया गया. संविधान के लिए कई देशों की यात्रा भारतीय संविधान का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए नरसिंह राऊ ने कई देशों की यात्रा की थी. रिसर्च के सिलसिले में वो अमेरिका, कनाडा, आयरलैंड और ब्रिटेन गए थे. इसके दौरान उन्होंने वहां के न्यायविदों और रिसर्च स्कालर्स से बातचीत की थी. इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस भारत में संविधान निर्माण के काम के बाद बीएन राऊ ने इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में भी काम किया. वो वहां जज रहे. साल 1949 से लेकर 1952 तक वो संयुक्त राष्ट्र में भारत के प्रतिनिधि रहे. राऊ यूनाइटेड नेशंस सिक्योरिटी काउंसिल के अध्यक्ष भी रहे.
डॉक्टर भीम राव अंबेडकर भारतीय संविधान की प्रारूप समिति के अध्यक्ष थे.
अब तक 103 संशोधन भारतीय संसद (Parliament) ने 70 साल के दौरान संविधान (Constitution) में 103 बार संशोधन किए और इसमें केवल एक संशोधन को सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक घोषित किया. पहला और अंतिम, दोनों संविधान संशोधन सामाजिक न्याय से संबंधित थे. ये भी पढ़ें :- अमित शाह के बेहद करीबी माने जाते हैं जेपी नड्डा, संगठन में रहा है शानदार काम जानिए किन फेमस लोगों ने छोड़ दी भारत की नागरिकता यहां बांग्लादेशी शरणार्थी हिंदुओं का चलता है सिक्का, लोकल बिजनेस पर है कब्जा आज ही बना था वो राज्य, जिसे भारत का स्काटलैंड कहा जाता है,अंग्रेज भी थे दीवाने आज ही जूनागढ़ का भारत में हुआ विलय, पाकिस्तान भागकर पछताए थे रियासत के नवाब टिकट पर 50% छूट के बाद भी अपने देश की फिल्में नहीं देख रहे पाकिस्तानी, बॉलीवुड की मांगClick here to add News18 as your preferred news source on Google.न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।First Published :January 21, 2020, 10:32 ISThomeknowledgeगणतंत्र के 70 साल: हम क्यों संविधान लिखने वाले बीएन राऊ को भूल गए?और पढ़ेंAdvertisementHealth CalculatorsBMI CalculatorCalorie Calculatorख़बरें फटाफट
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