AdvertisementABVP कार्यकर्ता से विधानसभा अध्यक्ष तक की कुर्सी तक, कुछ ऐसा है विजय सिन्हा का राजनीतिक सफरAuthor:
राकेश कुमार
Agency:News18HindiLast Updated:November 26, 2020, 10:26 IST
Speaker Vijay Kumar Sinha: अखिल भारतीय विद्यार्थी (ABVP) परिषद से राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाले विजय कुमार सिन्हा (Vijay Kumar Sinha) ने बेगूसराय से सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया है.
ख़बरें फटाफटगूगल पर News18 चुनेंबिहार विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हापटना. बीजेपी के सीनियर नेता और लखीसराय से विधायक विजय कुमार सिन्हा (Speaker Vijay Kumar Sinha) बिहार विधानसभा के नए अध्यक्ष होंगे. बुधवार को बिहार विधानसभा के स्पीकर के लिए हुई चुनाव प्रक्रिया के बाद विजय कुमार सिन्हा विजयी घोषित किये गए. जिसके बाद सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) और तेजस्वी यादव उन्हें अध्यक्ष के आसन तक ले गए. विजय कुमार सिन्हा के पक्ष में सदन के 126 सदस्यों ने अपना समर्थन दिया जिसके बाद उनको प्रोटेम स्पीकर जीतन राम मांझी ने अध्यक्ष घोषित किया. बिहार विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा लखीसराय (Lakhisarai) से जीतकर आए हैं और पिछली सरकार में वो मंत्रr भी थे. ऐसे में विजय कुमार सिन्हा के बारे में जानना रोचक होगा कि आखिर ये हैं कौन? इनकी राजनीतिक यात्रा कैसी रही है? किस सामाजिक परिवेश से ये आते हैं? लगातार चौथी बार बने विधायक विजय सिन्हा बिहार में बीजेपी के बड़े नेता माने जाते हैं. नीतीश कुमार की पिछली सरकार में विजय कुमार सिन्हा श्रम मंत्री थे. लखीसराय की जनता ने उन्हें बीजेपी के उम्मीदवार के रूप में लगातार चौथी बार चुना है. सिन्हा भूमिहार समाज से आते हैं. नीतीश कुमार की पिछली सरकार के स्पीकर भी इसी जाति से थे. बिहार में पिछली बार स्पीकर की सीट जेडीयू के खाते में थी और भूमिहार समाज से आने वाले विजय चौधरी स्पीकर बने थे. बेगूसराय से किया सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा 5 जून 1967 को जन्मे विजय कुमार सिन्हा के पिता शारदा रमण सिंह (अब स्व.) पटना के बाढ़ स्थित बेढ़ना के हाई स्कूल के प्रभारी प्रधानाध्यापक थे. उनकी मां का नाम स्व. सुरमा देवी है. पैतृक निवास मोकामा के बादपुर में है. सिन्हा ने बेगूसराय के राजकीय पॉलिटक्निक से सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया है. सुशीला सिन्हा से इनकी शादी वर्ष 1986 में हुई थी. कॉलेज के दिनों में ही पैदा हुई नेतृत्व क्षमता इनकी रुचि सामाजिक, राजनैतिक और धार्मिक कार्यों में शुरू से रही है. बचपन में ही यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े थे. महज 13 वर्ष की उम्र में यानी 1980 में सिन्हा ने बाढ़ में आयोजित बीजेपी के कार्यक्रम में पारिवारिक भागीदारी में सहयोग किया था. 15 वर्ष की उम्र में बाढ़ के दुर्गापूजा समिति के सचिव के रूप में चुने गए. यहां से जब इनके भीतर संगठन में नेतृत्व क्षमता डेवलप होने लगी तो बाढ़ के ही एएन कॉलेज में पढ़ते हुए 1983 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की छात्र राजनीति में यह सक्रिय हो गए. इसी का नतीजा हुआ कि पॉलिटेक्निक में पढ़ते हुए 1985 में राजकीय पॉलिटेक्निक मुजफ्फरपुर छात्र संघ के अध्यक्ष बने. 1990 में सिन्हा को राजेन्द्र नगर मंडल पटना महानगर भाजपा में उपाध्यक्ष पद की जिम्मेवारी मिली. वर्ष 2000 में सिन्हा को प्रदेश संगठन प्रभारी, भारतीय जनता युवा मोर्चा बिहार-सह-चुनाव प्रभारी भाजपा सूर्यगढ़ा वि.स. जिला लखीसराय की जिम्मेवारी दी गई. 2002 में भारतीय जनता युवा मोर्चा, बिहार के प्रदेश सचिव बनाए गए. राजनीतिक करियर की शुरुआत 2003 में 2003 में सिन्हा ने स्थानीय निकाय क्षेत्र से चुनाव लड़ा. इसके तहत मुंगेर, लखीसराय और शेखपुरा तीन जिलों में जीत हासिल की. राजद की सरकार में राजद उम्मीदवार द्वारा जमुई में बूथ कैप्चरिंग और द्वितीय वरीयता की मतगणना गिनती गड़बड़ी का मामला पटना उच्च न्यायलय में गया. 2005 में विधायक बनने के बाद यह केस समाप्त हो गया. फरवरी 2005 में पहली बार लखीसराय विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित हुए. 2010 में लखीसराय विधानसभा से लगभग 60,000 मतों से सिन्हा ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की. सभी विरोधी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी. नवंबर 2015 में लखीसराय विधानसभा क्षेत्र से जीतकर फिर विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुए. इस बार भी लखीसराय विधानसभा क्षेत्र से फिर भारी मतों से विजयी हुए हैं. संघर्षों की लंबी दास्तां विजय कुमार सिन्हा के संघर्षों की दास्तान लंबी है. 1986-87 में राजकीय पॉलिटेक्निक, बेगूसराय में व्याप्त अव्यवस्था और भ्रष्टाचार के विरोध में छात्र संघ के साथ धरना प्रदर्शन के दौरान सिन्हा की गिरफ्तारी हुई. इसके बाद तत्कालीन गृह राज्य मंत्री (पुलिस मंत्री) भोला बाबू ने हस्तक्षेप किया, उसके बाद सिन्हा की रिहाई हुई. 1988 में एक बार फिर बेरोजगार कनीय अभियंता की बहाली को लेकर उन्होंने संघर्ष छेड़ा. तत्कालीन सरकार के विरुद्ध संघर्ष करते हुए धरना प्रदर्शन के दौरान गिरफ्तारी हुई और फिर रिहा किए गए. इस तरह धरना-प्रदर्शन, गिरफ्तारी और रिहाई का अनवरत सिलसिला इनके राजनीतिक करियर में चलता रहा.First Published :November 25, 2020, 13:04 ISThomebiharABVP कार्यकर्ता से विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी तक, जानें विजय सिन्हा का सफरऔर पढ़ेंAdvertisementHealth CalculatorsBMI CalculatorCalorie Calculatorख़बरें फटाफटहवा में तैरता है यह ज्योतिर्लिंग,1000 साल पुराने मंदिर के दर्शन करने उमड़े भक्त
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